डा. सी. के. राउत विशेष अदालत में प्रहरी हिरासत में २०७१ साल आश्विन २२ गते “आखिरी तमन्ना” कविता लिखते हुए। इसी दिन अपने समझौता से मुकरते हुए नेपाल सरकार ने जन्मकैद की माँग करते हुए डा. राउत उपर राज्यविप्लव का मुद्दा दायर किया था।
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तिलक
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– सी. के. राउत
२०७१ कार्तिक २३ गते
डिल्लीबजार जेल, काठमांडू
मधेश की मिट्टी का तिलक लगाऊँ
रण कुरुक्षेत्र आजादी गीत मैं गाऊँ
दिवानगी चढ़ी इस कदर देशप्रेम की
जन्नत को भी मैं पीछे छोड़ जाऊँ
गम मत करना मेरा ऐ मेरे दोस्त
एक बार नहीं सौ बार भी मैं मिट जाऊँ
जेल में एक मुठ्ठी मधेश की मिट्टी भेजना दोस्तों, बहुत दिनों से तिलक नहीं लगा पाया हूँ।
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दिये रहते जलते
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–डा. सी. के. राउत
२०७१ आश्विन ३१ गते
डिल्ली बजार जेल
न होठों पे सिसक न पलकें झपकते
न पायल झंझांती न कंगन खनकते
तेरी राह न जाने क्यूँ अब भी तकते
हर शाम चौखटपर दिये रहते जलते
बारिस ही बारिस न मौसम बदलते
न कोयलें गाती हैं न डाल मचलते
पर दीदार के सपने अब भी पलते
हर शाम चौखट पर दिये रहते जलते
आसमां में सितारा बना तूं लोग कहते
काश कलमुँही काले बादल तो हटते
मन बाबरा तेरे एक झलक को तरसते
हर शाम चौखट पर दिये रहते जलते
चला गया तूँ कोई शिकवा न करते
पर जाने से पहले एक बार तो मिलते
साथ तेरे उस पार हम भी तो चलते
हर शाम चौखट पर दिये रहते जलते
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दस्तक (कविता)
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– डा. सी. के. राउत
२०७१ आश्विन ३० गते
डिल्लीबजार जेल
(१)
सदियों में आता एक बार यह सवेरा
पक्षी उड चले छोड अपना बसेरा
पंख फैला गगन में उडान लगाने को
जंजीर तोड चले आजादी लाने को
पर तुम अभी भी मदहोश क्यों हो
दस्तक दे रहा हूँ, खामोश क्यों हो ?
(२)
हाँ, मेरी पीठ पर गड़ी हुई है खंजर
पर यह वीरों की भूमि नहीं बंजर
वीर एक से एक यहाँ आएँगे
रण कुरूक्षेत्र में वीरता दिखाएँगे
पर तुम अभी भी बेहोश क्यों हो
दस्तक दे रहा हूँ, खामोश क्यों हो ?
(३)
हाँ, स्वराज शहीद बेच डाले अपनोंने ही
पर वसुन्धरा पर वीरों की कमी तो नहीं
भले ही कुछ अपने वादों को तोड़ गए
वेवफा छोड़ गए, सो छोड़ गए
करते तुम उनका अफसोस क्यों हो
दस्तक दे रहा हूँ, खामोश क्यों हो ?
(४)
नहीं सजते रण कुरुक्षेत्र का बारबार
युगोंयुग में आती यह घड़ी एक बार
चलो महारथी, अपने गांडीव उतार
हड्डियों से मेरी दधिची बज्र बनाकर
शहीद चित्ताराख माथे पर लगाकर
करते नहीं तुम उद्घोष क्यों हो
दस्तक दे रहा हूँ, खामोश क्यों हो ?
समाप्त
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श्याम तेरे शंखनाद
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–डा. सी. के. राउत
२०७१ आश्विन ३० गते
डिल्ली बजार जेल
हे श्याम ! तेरे शंखनाद से कुञ्जर खोया
फिर ये धर्म धरातल धसा क्यूँ है ?
न मुस्कुरा पाया मैं न तो रोया
फिर गर्म आँसु आँखोमें बसा क्यूँ है ?
उनसे पैदा उन्हीं से मुहब्बत करता हूँ
फिर हमसे वो खफा क्यूँ है ?
जान तो आज भी हथेली लिए फिरता हूँ
फिर यकीन नहीं उन्हें ऐसा क्यूँ है ?
न मैनें कुछ कहा न उसने कही
फिर उसका विश्वास लूटा क्यूँ है ?
अगर खामोशी मेरी वेवफाई नहीं थी
फिर वो हमसे जूदा क्यूँ है ?
अगर जूनून नहीं ईश्क में मेरे
फिर प्यार में उनके मिटनेका नसा क्यूँ है ?
अगर भूल गया हूँ मैं उन्हें
फिर हर शाम मयखानों में उनकी चर्चा क्यूँ है ?
अगर सच्चा था प्यार उन्होनें ही जो दिए
फिर जंजीर पैरों में अभी भी कसा क्यूँ है ?
छोड दो अँधेरों में मुझे मिटने के लिए
पर कह देना, दिल में बसा तूँ ही तूँ है !
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काठमांडू के हनुमानढोका प्रहरी हिरासत से डा. सी. के. राउतद्वारा अपनी बेटी के नाम लिखा गया पत्र
२०७१ आश्विन २६ गते
हनुमानढोका प्रहरी हिरासत
बेटू रेवती,
तुम सोचती होगी पापा अभी तक क्यों नहीं आए। तुम्हारी आखें मुझे तलाश रही होंगी। अब मैं तुम्हें कैसे बताऊँ, बेटा? तुम तो अभी ४ महीने की ही हो। अभी तो तुम मेरी बातों में केवल हामी भरती थी, हूँ हूँ करके। मैं तुम्हें कैसे सम्झाऊँ? मैं मधेश माँ की आजादी के लिए निकला हूँ बेटा, ताकि कल तुम सबको वही जिल्लत भरी गुलामी की जिन्दगी नहीं जीना पड़े तो हम सबने जीया है, ताकि तुम कल गर्व के साथ सर उठाकर चल सको, ताकि नेपाली पुलिस और सेना का खौफ तु्म्हें न लगे, ताकि तुम्हारे चमड़े का रंग देखकर ही तुम्हें काठमांडू या मधेश में कोई न पीटे या नौकरी देने से इंकार न कर दे। मैं मधेश में नेपाली औपनिवेशिक शासन और रंगभेद अंत करने के लिए निकला हूँ बेटा, ताकि कल स्वतंत्र मधेश में हर कोई समान अधिकार के साथ, मानवीय सम्मान के साथ जी सके। और बहुत सम्भव है बेटा, कि तुम दुबारा मुझे देख भी न सको।
बेटा, बड़ा होकर दादाजी की सेवा करना, उन्होंने अपने जीवन में बहुत ही कष्ट झेले हैं। उनका एक सपना था एक छोटा सा मकान पूरा करुँ, पर उनका वह छोटा सा सपना भी मैं पूरा कर न सका। उस दिन संथालों की सभा में जाने से पहले भी उनसे कहा था कि शाम को लौट जाऊँगा। पर वह हो न सका। मैं गीदड़ों के जाल में फँस गया, और नेपाली भगौडों के पास नैतिकता नाम की चीज तो है नहीं, वश ये फिरंगी छल से, कपट से, दूसरों पर कब्जा जमाना जानते है। पर चिंता मत करना बेटा, मधेशी जनता अब जाग चुकी है, वे तो शेर हैं, उसे अब गुलामी कभी मंजूर नहीं, वह आजादी लेकर रहेगी। वह दिन अब दूर नहीं।
बहुत-बहुत प्यार!
तुम्हारा पापा,
सीके
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आखिरी तमन्ना
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–डा. सी. के. राउत
२०७१ आश्विन २२ गते
सौ बार जन्म देना मधेश माँ तू
सौ बार ही तुझपे मिट जाने कि तमन्ना है
वीरों का खून मुझमें भर दे माँ तू
सौ बार खून से आजादी लिख जाने कि तमन्ना है
मेरे गाण्डीव में टंकार भर दे माँ तू
कुरुक्षेत्र में दुष्ट कौरवों को जीत जाने कि तमन्ना है
सौगन्ध है तेरी चीरहरण की माँ
दुशासन छाती चीर आजादी गीत गाने की तमन्ना है
कुछ पल मधेश माँ का ख्याल रखना दोस्तों
मरके भी वापस फिर आने की तमन्ना है
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अकेले ही सही
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– डा. सी. के. राउत
२०६१ आश्विन ८ गते
प्रहरी हिरासत में, आमरण-अनशण के चौथे दिन
मिट जाऊँगा माँ, अकेले ही सही
जान दे दूँगा माँ, आज और यहीं
गद्दार मजधार में छोड़ दें भले ही
वीर हूँ मैं, उन जैसे कायर तो नहीं
माँ, मेरे रगरग में वीरों का खून है
सौ बार तुझपे मिटनेका मेरा भी गुरूर है
सोचती होगी माँ, मिटने का ये कैसा जूनून है
पर गर्व करेगी माँ, तेरा एक बेटा जरूर है
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आखरी साँस तक
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– डा. सि.के. राउत
२०७१ भाद्र ३१
विराटनगर हिरासत
जल्लादों !
चाहे उधेड़ दो चमड़ी को मेरी बाँहों से
आजादी ही गुँजेगी मेरी हर आहों से
पर मधेश माँ का चीरहरण होने नही दूँगा
माँ, मैं तेरी अस्मिता कभी खोने नही दूँगा
चाहे काट दो मुझे तुम सौ टुकडो में
आजादी ही मिलेगी खून के हर कतरों में
पर मधेश माँ को बिकने नही दूँगा
माँ, मै तूझे कभी झुकने नही दूँगा
चाहे गोलियाँ बरसादे तू इस सिने पर
आजादी लिख दूँगा गोली के हर छर्रे पर
पर मधेश माँ को रोने नही दूँगा
माँ, तूझे जुदा कभी होने नही दूँगा
चाहे चढ़ा दो तुम मुझको फांसी पर
आजादी ही सिसकेगी आखरी साँसों पर
पर मधेश माँ को मै लूटने नही दूँगा
माँ, मैं तूझे कभी मिटने नही दूँगा !!
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मधेश आजादी गीत
चल भैया आजादी लें , चल बहना आजादी लें
चल भैया आजादी लें , चल बहना आजादी लें
चल मधेशी आजादी लें -२ आजादी लें -२
चल भैया आजादी लें , चल बहना आजादी लें
होगा अपना देश रे, मेची काली मधेश रे -२
भाषा अपना भेष रे, अपना एक उदेश रे , अपना एक उदेश रे
होगा अपना राज रे, सब को मिलेगा काज रे -२
न जाना विदेश रे, रोजगारी होगी स्वदेश रे , रोजगारी होगी स्वदेश रे
चल भैया आजादी लें , चल बहना आजादी लें
मिलेगी पहचान रे, ना होगा अपमान रे -२
सबको मिलेगा मान रे , उँचा अपना सम्मान रे , उँचा अपना सम्मान रे
अपनी कर्मचारी रे, सेना पुलिस सारी रे -२
साधन यही लगानी रे, ना चलेगी बेईमानी रे, ना चलेगी बेईमानी रे
चल भैया आजादी लें, चल बहना आजादी लें
चहुँ ओर विकास रे , अस्पताल कॉलेज पास रे -२
रोड रेलवे खास रे , नहर कारखाना आस रे ,
गास कपास आवास रे, कर तू अब प्रयास रे
ना होगा भूमि हरण रे , न दंगो में मरण रे -२
सब को मिलेगा शरण रे , कर तू अब बस प्रण रे, कर तू अब बस प्रण रे
चल भैया आजादी लें , चल बहना आजादी लें
ना कोई भूमिहीन रे , ना कोई दीनहीन रे -२
ना नागरिकता बिन रे, सब कुछ अपने अधीन रे, सब कुछ अपने अधीन रे
अन्त होगा उपनिवेश रे, गुलामी रंग भेद ठेस रे – २
होगा अपना देश रे , कुछ दिन ही अब शेष रे
चल भैया आजादी लें, चल बहना आजादी लें
समझौते सारे देखे रे, शब्द खाली बड़े बड़े -२
ऐसे अधिकार क्या लें, जब चाहे वे छीन लें
अब ना नेपाली राज रे , मधेश में होगा स्वराज रे
तोड गुलामी जंजीर रे , बढ आगे वीर हे
आजादी सवेरा लाने रे, मधेश देश बनाने रे , मधेश देश बनाने रे
चल भैया आजादी लें, चल बहना आजादी लें
कदम से कदम मिलाके रे , अपना एकता बनाके रे – २
दुश्मनों को हिला के रे , रहेंगे आजादी लाके रे
रुके न जब ना आजादी रे , भूमि तो जान से प्यारी रे – २
दुश्मनों पर हम भारी रे, अब तो अपनी बारी रे, अब तो अपनी बारी रे
चल भैया आजादी लें, चल बहना आजादी लें
आजादी लें आजादी लें -२
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मधेश राष्ट्रगान
कोशी कमला गण्डक काली
जनक सीता बुद्ध धारी
अनन्त उर्वर मधेश जय
जय जय जय मधेश जय
सहस्र तलाव सरस मृणाली
सुलभ समृद्ध सतत हरियाली
मनोरम महान मधेश जय
जय जय जय मधेश जय
परित्राता परिपालक परमभवशाली
अजित अधिप आभा भारी
मेधावी महारथी मधेश जय
जय जय जय मधेश जय